Mahavir Jayanti 2023 का है विशेष महत्व, जानें Top Success पंच सिद्धांत

Spread the love

कैलाश कृपा। हर साल की तरह इस साल भी 2023 में Mahavir Jayanti 2023 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर महावीर जयंती 2023 बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है यह त्यौहार जैन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार रहता है। इस बार 4 अप्रैल 2023 को भगवान महावीर जयंती मनाई जाएगी और इस दिन अपने स्नेहजनों को विशेष संदेश के जरिए शुभकामनाएं देंगे।

Mahavir Jayanti 2023 : दुनिया को दिखाई सही राह

Mahavir Jayanti 2023 : भगवान महावीर ने दुनिया में सत्य अहिंसा और ब्रह्मचर्य के बारे में जानकारी देते हुए सभी को इससे अवगत कराया। उन्होंने बताया कि जीवन में कई परिस्थितियां ऐसे भी होती हैं जिनमें कई उतार-चढ़ाव होते हैं और उनके निराकरण के लिए उन्होंने सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह के बारे में बताया जिससे जीवन में आने वाली समस्याओं और हर कठिन परिस्थितियों को आसानी से हल किया जा सके।

अपने प्रवचनों और उपदेशों के माध्यम से कई लोगों की जिंदगी को एक अलग ही राह दी है। भगवान महावीर स्वामी की जयंती उनकी याद में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन सभी में एक नया उत्साह और उमंग दिखाई देता है सब अपने प्रियजनों को विशेष शुभकामनाएं देते हैं। इस मौके पर आप अपने स्नेहजनों को सिंपल मैसेज के जरिए उन्हें शुभकामना दे सकते हैं।

Mahavir Jayanti today 2023 Date : शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष आज 3 अप्रैल को सुबह 6:24 से शुरू हो चुकी है और यह अगले दिन 4 अप्रैल को सुबह 8:00 बजे पर खत्म हो जाएगी।

Mahavir Jayanti 2023 का महत्व

भगवान महावीर की जयंती पर विशेष उत्साह और उमंग के साथ प्रभात फेरी अनुष्ठान और शोभा यात्रा निकालते हैं और बढ़-चढ़कर उसमें अपना हिस्सा लेते हैं। भगवान महावीर ने 5 नियम बताएं जिसके तहत मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो नियम है उन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से पहचानते हैं।

Also Read : कर्म अच्छे होंगे तो फल भी अच्छे ही मिलेंगे

यह पंच सिद्धांत सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, अहिंसा और अस्तेय हैं इससे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है आज के दिन भगवान महावीर की पूजा अर्चना की जाती है और उनके उपदेशों का स्मरण कर उनके बताए गए सिद्धांतों पर सभी मनुष्य द्वारा चलने का प्रयास किया जाता है और साथ ही अनेक धार्मिक आयोजनों का बढ़-चढ़कर उत्साह उमंग के साथ खुशियां मनाई जाती है। 

कल 4 अप्रैल 2023 को दे शुभकामनां सेदश

Best Wishesh Mahavir Jayanti 2023

Mahavir Jayanti Wishesh 2023 (1)

mahavir jayanti wishesh

Mahavir Jayanti Wishesh 2023 (2)

mahavir jayanti wishesh

Mahavir Jayanti Wishesh 2023 (3)

mahavir jayanti 2023

Mahavir Jayanti 2023 के विचार

भगवान महावीर स्वामी के अनुसार कुछ विचार दिए गए हैं जिसमें बताया गया है कि मनुष्य को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए जो कि इस प्रकार है-

  1. मनुष्य की आत्मा आनंदमय और यहां हमारे ही अंदर स्थित है इसे बाहर ढूंढने की कोई जरूरत नहीं है।
  2. व्यक्ति खोजो प्रकाश का स्मरण और अनुसरण करता है तो वहां मृत्यु से ऊपर उठ जाता है।
  3. ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है बस एक सही डायरेक्शन में अपना निरंतर प्रयास करते रहे जिससे आप आसानी से देवताओं से मिल सकते हैं।
  4. मनुष्य को हर जीवित प्राणी के ऊपर दया करनी चाहिए और किसी भी प्रकार की घटना से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण से केवल विनाशी हो सकता है।
  5. सभी व्यक्तियों को अपने आप पर विजय प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि यहां लाखों शत्रु के विजय पाने से बेहतर रहती है और जवाब खुद पर विजय प्राप्त करते हैं तो आपको नई चेतना प्राप्त होती है।

When was Mahavira Jayanthi date of birth?

भगवान महावीर का जन्म 599 वर्ष पूर्व  कुण्डलपुर

Why is 2 Mahavir Jayanti celebrated?

यह दिन भगवान महावीर के जन्म का प्रतीक है और वह धर्म के 24 वें अंतिम तिथर्कर थे वह राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र थे। यह जैनियों के लिए प्रमुख त्यौहारों में से एक है जिसे वह धूम-धाम से शोभा यात्रा निकालकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

Mahavir Jayanti 2023 का इतिहास

भगवान महावीर का जन्म 599 वर्ष पूर्व  कुण्डलपुर मेें हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम  त्रिशला था। वर्तमान में यह कुंडलपुर जहां स्थित है उस जिले के नाम वैशाली है। भगवान महावीर को बचपन में जिस नाम से पुकारा जाता था वह नाम वर्धमान नाम था और इसका अर्थ भी बहुत ही उच्च है उनके इस नाम का जो अर्थ है वह बढ़ना है।

उनका जन्म ऐसे कठिन समय में हुआ था जब इस दुनिया में जातिगत भेदभाव और हिंसा, पशुबलि बहुत ही ज्यादा था। उन्होंने  30 वर्ष की आयु में स्वयं को विश्व कल्याण के लिए समर्पित करते हुए सांसारिक मोह माया को त्याग दिया और भगवान महावीर स्वामी ने पावापुरी में 72 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया।

अकाल के समय भद्रबाहु और स्थूलभद्र ने ली शिक्षा

कई वर्षों पूर्व चंद्रगुप्त मौर्य के समय ऐसा अकाल पड़ा की वह 12 साल तक रहा और उस समय भद्रबाहु जैन संप्रदाय के प्रमुख थे। जब चंदग्रुप्त मैर्य के समय में अकाल भयंकर अकाल पड़ा तो भद्रबाहु के अनुयायी दक्षिण भारत में जाने का विचार बनाया और अंत समय में वह दक्षिण भारत में जाकर पुन्नापाट प्रदेश में जाकर रहने लगे।

स्थूलभद्र अपने अनुयायियों के साथ रूके रहे और उन्होंने पुन्नाट प्रदेश में न जाने का फैसला करते हुए उन्होंने मगध में ही रूकने का फैसाल किया और इस तरह भद्रबाहु और स्थूलभद्र अलग अलग स्थान पर बस गए। भद्रबाहु द्वारा अपने अनुयायियों को शिक्षा देते हुए उन्हें निर्वस्त्र रहने का कहा जबिक स्थूलभद्र द्वारा अपने अनुयायियों को सफेद वस्त्र धारण करने की शिक्षा दी।