कर्म अच्छे होंगे तो फल भी अच्छे ही मिलेंगे

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उज्जैन, कैलाश कृपा। हमारे द्वारा किया गया गलत कार्य हमारे आने वाले समय के लिए बहुत ही भारी होता है । कर्म अच्छे होंगे तो फल भी अच्छा ही मिलेगा । आने वाला समय भारी हो सकता है अगर यदि आप अपने कर्म के प्रति ईमानदार न हो और भयंकर होता है कि, हमारा जमा हुआ पुण्य कब खत्म हो जाए इसका हमें पता भी नहीं चल पता है। पुण्य खत्म होने पर आपके अच्छे होने वाले कार्य भी कब बिगड़ जाये इसका कोई अंदेशा नहीं, वक्त आने पर राजा को भी भीख मांगना पड़ती है। इसलिए आप जितना हो सके उतना अच्छा कर्म करे। कभी किसी के साथ छल कपट करके किसी की आत्मा को दुखी ना करें।

लोग आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं यह उनका अपना व्यवहार है पर जरुरु है की आप अपना व्यवहार और अच्छे कर्म पर विशेष ध्यान रखे। आप जो प्रतिक्रिया करते हैं वह आपका कर्म है। अपना समय यह सोचकर बर्बाद ना करो कि दूसरों ने तुम्हारे साथ क्या किया ? तुम्हारी जगह कर्म को उनको जवाब देने दो। स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नर्क से डरना छोड़ दो, कौन जाने क्या पाप क्या पुण्य है। बस किसी का दिल ना दुखे इसका विशेष ध्यान रखे। अपने स्वार्थ के लिए बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दो। ना पैसा बड़ा ना पद बड़ा मुसीबत में जो आपके सुख दुःख में खड़ा हैं वह सबसे बड़ा।

अगर आप किसी और के साथ गलत करने जा रहे हो तो अपनी बारी का इंतजार भी जरूर करना। आप जो कार्य करते है, जैसा आप दुसरो के प्रति सच्चे रहते है और जो अपने जीवन को देते हो, जीवन भी वही आपको वापस देता है। तुम्हारे द्वारा की गई नफरत कभी ना कभी वापस तुम्हारे पास जरूर आ सकती है। दूसरों से प्यार करोगे तो तुम्हें भी प्यार ही मिलेगा। कर्म करने से पहले यह तय कर लेना चाहिए कि उसे पछतावा होगा या प्रसन्नता प्राप्त होगी। आपके कर्मों की गूंज शब्दों के गूंज से भी ऊंची होती है।

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कर्म ईश्वर की और से प्रदान किया गया ऐसा प्राकृतिक ढाबा है जहां हमें ऑर्डर करने की जरूरत नहीं पड़ती। हमने जो बकाया होता है हमें वही मिलता है, आईना है जो हमें हमारा असली चेहरा दिखा देता है। हर किसी को आजादी है कि वह जो चाहे वह कर्म करें, लेकिन उन कर्मों के परिणाम उसके हाथ में नहीं होते है। आप जो भी क्रिया करोगे उसकी प्रतिक्रिया जरूर होगी यही ब्रह्मांड का नियम है और यही सत्य है ऐसे किसी को नहीं बख्शा जाता है। ज्यादा खेल में हम सदा ईमानदारी का पल्ला पकड़कर चलते हैं पर अफसोस है कि कर्म में हम इस और ध्यान तक नहीं देते कोई मेरा बुरा करे वह उसका कर्म है। मैं किसी का बुरा ना करूं मेरा धर्म है। भाग्य से जितनी उम्मीद करोगे उतना ही भाग्य आपको निराश करेगा।

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कर्मों में जितना विश्वास रखेंगे वह उतना ही आपको आपकी उम्मीद से अधिक देगा। कर्म बिना पूछे और बिना बताए ही दस्तक देता है। क्योंकि वह चेहरा और पता दोनों ही याद रखता है। दूसरे लोगों के दोषों को ना देखें ना ही उनकी गलतियों को देखें। इसके बजाय अपने खुद के कर्मों को देखे कि आप क्या कर चुके हैं और क्या करना अभी बाकी है। आकाश में मिट्टी उछालने पर वह मुंह पर ही गिरती है उसी तरह से मूर्ख व्यक्ति जब अच्छे लोगों के साथ बुरा करने की कोशिश करते हैं तो उनका खुद का ही बुरा होता है।

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शब्दों को जानना और पहचानना काफी नहीं उनका सही इस्तेमाल कर्म का सिद्धांत है। कर्म का सब खेल है यह लौटकर तो आएगा जो आज तुझे रुला रहा है कल कोई और उसे रुलाएगा और आप उसको देख कर अफसोस करेंगे की काश अपने बाईट हुए समय में सामने वाले के लिए कुछ अच्छा किया होता तो शायद आज आपके लिए वह व्यक्ति हर सुख दुःख में खड़ा होता पर उस समय पछताने के सिवाय कुछ नहीं मिलता इसलिए अपने अच्छे कर्मो के प्रति ईमानदार रहे और अपने व्यवहार से सभी को कुश रखे। अगर यदि आप अपने लिए बोलना शुरू करेंगे तो दुनिया आपके पीछे से हटकर आपके सामने खड़ी हो जाएगी। कर्म तेरे अच्छे हैं तो किस्मत तेरी दासी नियत तेरी अच्छी है तू घर में मथुरा काशी है।