गर्भावस्था में बच्चों का रखें ध्यान, बच्चों में बढ़ रही मिर्गी की बीमारी

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भागलपुर, कैलाश कृपा। मिर्गी की समस्या बच्चों में बढ़ती जा रही है। भागलपुर मेडिकल कॉलेज में मिर्गी  बीमारी की संख्या में वृद्धि हो रही है। समय रहते इस पर मिर्गी की बीमारी पर अगर काबू नहीं पाया जाए तो यह समस्या विकराल हो सकती हैं इसके लिए बच्चों के अभिभावकों को मिर्गी की समस्या की जानकारी और इसके संकेतों को जानना बहुत जरूरी है।

मायागंज अस्पताल के पीजी शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ आरके सिन्हा के मुताबिक जिन अभिभावकों के बच्चों में मिर्गी की समस्याएं है। समय रहते अगर यदि उनका उचित समय पर इलाज किया जाए तो इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को इस बीमारी से पूर्ण तरह से स्वस्थ हो सकते हैं। मायागंज अस्पताल के पीजी शिशु रोग विभाग में औसतन प्रति सप्ताह 3 से 4 मरीज मिर्गी के मिल रहे हैं। मिर्गी की यह समस्या ज्यादातर उन बच्चों में पाई जा रही है जो 1 से 12 साल तक के बच्चे है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल में 1 वर्षीय बच्चा जो कि मिर्गी से ग्रस्त था उसे मायागंज अस्पताल के पीजी शिशु रोग विभाग में भर्ती कराया गया। जब इलाज किया तो पाया गया की बच्चे को पूर्व में पीलिया था और उसे उस समस्या को देखते हुए अस्पताल में भर्ती किया गया था।

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भर्ती करने के बाद पता चला कि वह बच्चा मिर्गी से ग्रस्त था। इसी तरह से दूसरा केस एक साल के बच्चे का मिला जिसे मिर्गी की समस्या थी। जब डॉक्टरों द्वारा उस बच्चे की रिपोर्ट आई तो रिपोर्ट में पता चला है कि उसके खून में शुगर व कैल्शियम की कमी थी। ज्यादातर देखा गया है कि बच्चे के माता-पिता चमकी की समस्या दिखाई देती है तो उसे झाड़-फूंक कराने लग जाते हैं। ऐसे स्थिति में डॉक्टर का कहना है कि अगर ऐसी कोई स्थिति बनती है तो अपने बच्चों में झाड़-फूंक नहीं कराए क्योंकि इससे बच्चों की तबीयत ज्यादा खराब हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार मिर्गी के लक्षण ज्यादातर उस स्थिति में आते हैं जब मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हुआ हो।

बच्चों में किसी कारणवश आंशिक या फिर पूर्ण रूप से मस्तिष्क यदि क्षतिग्रस्त हुआ हो तो उसे बार-बार चमकी आने की शिकायत होने लगती हैं। इस बीमारी को चिकित्सकी भाषा में मिर्गी का दौरा पड़ना भी कहते हैं । जानकारी के अनुसार अगर यदि गर्भ में पल रहे शिशु को कोई संक्रमण है या प्रसव के दौरान शिशु का सिर दब जाता है या फिर किसी कारणवश मस्तिष्क में खून का प्रवाह रुक जाता है या उस बच्चे में किसी कारण वर्ष मस्तिष्क में इंफेक्शन हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसका मस्तिष्क पूर्ण या फिर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है। आगे चलकर यह समस्या बहुत बड़ी बीमारी या फिर मिर्गी जैसी समस्या का शिकार हो जाते हैं।
यह लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें- अगर आपके बच्चों में हाथ पैर एवं मुंह में चमकी हो रही है। दूसरा अगर उसके मुंह में झाग आ रहे हैं या फिर बच्चा बेहोश हो रहा है या फिर किसी वस्तु को निहारते रहना या फिर टेलीविजन को बहुत ही नजदीक से देखते रहता हो तो उन बच्चों में मिर्गी की समस्या हो सकती हैं इसके लिए आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इस बीमारी से बचाव- गर्भवती होने पर डॉक्टर से समय-समय पर जांच कराते रहना। शिशु रोग विशेषज्ञ से चिकित्सकीय सलाह लेते रहना। जन्म के बाद शिशु को सभी प्रकार के टीके लगवाना और 6 माह तक के बच्चों को मां का दूध पिलाना बहुत जरूरी है इससे इस बीमारी से बचा जा सकता है।